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दसेक मिनट पैदल चलकर चक्रवर्ती की बाहर वाली बैठक में पहुँच गया। मेरे पथ-प्रदर्शक ने आवाज दी, “पण्डितजी घर पर हैं?” कोई जवाब नहीं मिला। सोच रहा था, किसी सम्पन्न ब्राह्मण ...